दृष्टि - परीक्षण ( Eye - sight Test ) कैसे किया जाता है ?
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| Eye - sight Test |
जब हम किसी वस्तु को देखते हैं तो उस वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें हमारी आंखों की पुलियों से होती हुई रेटिना ( retina ) पर उस वस्तु का उलटा प्रतिबिम्ब बना देती हैं । यह प्रतिबिम्ब आंख में स्थित एक लेंस द्वारा निर्मित किया जाता है । यह प्रतिबिम्ब उलटा होता है ।
इसे सीधा करने का काम प्रकाश - तन्त्रिका ( optic nerve ) द्वारा किया जाता है । प्रकाश - तन्त्रिका विद्युत संदेशों के रूप में चित्र को मस्तिष्क तक ले जाती है , जहां यह सीधा होकर हमें दिखाई देता है ।
हमारी आंख का लेंस बहुत ही कोमल होता है । इसका नियंत्रण एक छोटे आकार की सीलियरी ( ciliary ) मांसपेशी से होता है । कुछ व्यक्तियों के विषय में ऐसा होता है कि वस्तु का प्रतिबिम्ब या तो रेटिना से पहले बन जाता है या रेटिना के पीछे बनता है ।
इन दोनों स्थितियों में वस्तु धुँधली दिखाई देने लगती है । ऐसी स्थिति में हम कहते हैं कि आंख में दृष्टिदोष उत्पन्न हो गया है । इस दोष से छुटकारा पाने के लिए आँखों के चश्मे प्रयोग में लाये जाते हैं ।
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| Eye export Check the eye |
ये चश्मे दो प्रकार के होते हैं । पहले प्रकार के चश्मे उनके लिए होते हैं , जिन्हें दूर की वस्तुएं साफ दिखाई नहीं देतीं । ऐसा आमतौर पर विद्यार्थियों के साथ होता है ।
दूसरे प्रकार के चश्मे उनके लिए हैं , जिन्हें पास की वस्तएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती । इन दोनों ही प्रकार के चश्मों के लिए किसी नेत्र - विशेषज्ञ के पास जाना पड़ता है , जो आँखों का परीक्षण करके चश्मे का नम्बर बताता है ।
आंखों के परीक्षण के लिए नेत्र - विशेषज्ञ एक चार्ट का प्रयोग करता है , जिस पर विभिन्न आकारों में विभिन्न अक्षर लिखे होते हैं । इन अक्षरों के नीचे 6 / 36,6 / 24,6 / 18,6 / 12,6 / 9.6 / 6 तथा 6/5 आदि अंक लिखे होते हैं । ( हो सकता है इन नंबर की जगह डॉक्टर कोई अल्फाबेक्टिक( ABCD exectra,,) चार्ट प्रयोग में लाये,,,इन दोनों चार्टों के परिणाम एक समान होते है ) ।
डाक्टर रोगी से यह चार्ट पढ़वाता है और रोगी जिस नम्बर तक पढ़ लेता है , उसकी आस की दृष्टि उसी नम्बर में प्रदर्शित कर दी जाती है । इन सभी अक्षरों में ऊपर की संख्या छह होती है ।
इसका अर्थ है कि आँख से इस चार्ट की दूरी छह मीटर अर्थात् 20 फुट होनी चाहिए । यदि किसी व्यक्ति की दृष्टि 6/12 है तो इसका अर्थ है कि इस आकार के अक्षर को वह व्यक्ति केवल छह मीटर की दूरी तक ही पढ़ सकता है , जबकि सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति इस अक्षर को 12 मीटर की दूरी तक पढ़ सकता है ।
इसी प्रकार 6/36 का अर्थ है कि सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति इस अक्षर को 36 मीटर की दूरी से पढ़ सकता है , जबकि नेत्र - दोष वाला व्यक्ति इसे केवल 6 मीटर की दूरी से ही पढ़ सकता है ।
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| Lens Types |
इस प्रकार नेत्र - परीक्षण करके विशेषज्ञ चश्मे का नम्बर देता है । उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति के चश्मे का नम्बर -2 डी है तो इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति को दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती अर्थात् उसे अवतल ( concave ) लेंस चाहिए ।
इसी प्रकार जिस व्यक्ति का नम्बर + में है , उसे पास की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती । उसे उत्तल ( convex ) लेंस चाहिए । ' डी ' अक्षर लेंस की शक्ति को प्रदर्शित करता है । इसका ' डाइऑप्टर ' ( dioptre- मीटरों में फोकस से दूरी ) शब्द के लिए प्रयोग किया जाता है ।
दो डाइऑप्टर का अर्थ है - लेंस की फोकस दूरी 50 सेमी . होनी चाहिए । -2 डी का अर्थ है कि उस व्यक्ति को 50 सेमी . फोकस दूरी का अवतल लेंस चाहिए ।
इसी तरह +2 डाइऑप्टर का अर्थ है कि उस व्यक्ति को 50 सेमी . फोकस दूरी का उत्तल लेंस चाहिए । इसी नम्बर के आधार पर चश्मा - निर्माता सही प्रकार के चश्मों का निर्माण करते हैं ।
यदि किसी व्यक्ति को दूर या पास की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती तो उसे आंखों का परीक्षण कराने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए और जल्दी ही सही प्रकार के चश्मे का प्रयोग करना आरम्भ कर देना चाहिए ।
चश्मे के प्रयोग में विलम्ब करने से दृष्टि और भी कमजोर होती जाती है और चश्मे का नम्बर उत्तरोत्तर बढ़ता ही जाता है ।